पटना शहर में गंगाजी के तट पर विशाल ऐतिहासिक मैदान .वाद,विवाद ,संवाद ,पक्ष, विपक्ष , कथा ,गीत, नृत्य ,संगीत ,मेला, ठेला और सब की आश्रय स्थली . इस ऐतिहासिक मैदान में आपका स्वागत है .
मित्रों हिचकचाते हुए हिन्दी ब्लॉग जगत में कदम रख रहा हूँ. हिचकिचाहट की कोई विशेष वजह नहीं बल्कि हर नए क्षेत्र में परवेश पर होने वाले नए के प्रति संशय और संकोच का मिश्रित भाव.प्रवेश यह सोच कर की विचारों को शब्द बध्ध औरों के लिए न सही तो अपने लिए तो किया जाय. अगर इन विचारों पर मित्रों की राय आए तो अति उत्तम. विचारों का दायरा विस्तृत होगा. हाँ इसमें बिहार के हर क्षेत्र पर मुक्त चिंतन का स्वागत होगा सादर दिनांक अक्टूबर ५, २००८.