जब यहाँ दिल्ली में ७-८ डिग्री पहुँचने पर ही लोग बाग दूबक जाते हैं तो पता नहीं बिजली आने के पहले यूरोप और उत्तर अमेरिका के रेड इंडियन आदि -२० डिग्री को कैसे झेलते होंगें.शायद उस दौर में उत्तर भारत की तर्ज पर शीत लहर से मौतें होती होंगी .
फिलहाल सर्दी से जिन्दगी सिकुड़ गई है।
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