बिहार मंत्रिमंडल की बेगुसराय जिले के एक गाँव में बैठक हुई . गाँव में बैठक के लिहाजन इसे ऐतिहासिक कहा जा रहा है. मंत्रिमंडल ने शिक्षा के क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. पहला की हर सरकारी हाई स्कूल में अब इंटर स्तर तक की पढ़ाई होगी .इसके लिए सारी सुविधाएँ मुहैया की जायेंगी. दूसरा निर्णय अनुमंडल स्तर पर ३९ नए सरकारी ( जिसे हम अंगीभूत की संज्ञा देते हैं )कॉलेज खोले जायेंगें .इन निर्णयों के लिए बिहार की वर्त्तमान हुकूमत बधाई की पात्र है.लेकिन नए निर्णय के पीछे कुछ आंकडे चौंकाने वाले है.बिहार की वर्तमान जनसंख्या ९-१० करोड़ के बीच है. जानकार कहते हैं की इस आबादी का तक़रीबन पंद्रह से बीस फीसदी हिस्सा प्रवासी हो गया है. मतलब सात से आठ करोड़ बिहार राज्य के भूगोल में रहते है.हाई स्कूल में पढने लायक छात्र / छात्राएं कम से कम पचीस से पचास लाख के लगभग .पर सरकारी हाई स्कूलों की संख्या मात्र १६६२ .फर्ज किया जाय की इतने ही निजी स्कूल भी होंगें . तो ये रही बिहार में आधुनिक शिक्षा की बुनियाद की तैयारी और इन्तेजामात .क्या आपको अब भी आश्चर्य हो रहा है की बिहार इतना पिछडा क्यों है कॉलेज शिक्षा और कॉलेजों की बात की जाय तो लगता है की किसी साजिश के तहत अब तक ज्ञान पर पारंपरिक सामंती एकाधिकार और शैक्षणिक पिछडेपन के पीछे निहित स्वार्थ की व्यवस्था को जारी रखा गया है. ३९ अनुमंडलों में कोई कॉलेज नहीं.शिक्षा को बरबाद करने की साजिश और उसको अमली जामा आठवें दशक में पहनाया गया .लेकिन इन उत्क्रमित हाई स्कूलों में क्या पढ़ाई का जिम्मा शिक्षा मित्रों के भरोसे रहेगा ? वो शिक्षा मित्र जिन्हें ५००० मासिक दरमाहे पर रखा गया है.जिन पर पंचायत पर हावी सामंती और माफिया टाइप के लोगों का दबदबा बना रहता है.योग्य शिक्षकों की अगर नियुक्ति न की गई तो बिहारी समाज की दो पीढी का भविष्य अन्धकार मय बना रहेगा .एक कदम आगे और दो कदम पीछे वाली उक्ति चरितार्थ होगी.बिहार के विकास की चुनौती और उसके विविध आय्मों की चर्चा जारी रहेगी .
1 comment:
Bahut sahi kaha aapne.Vicharneey tathya hai.
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