पटना शहर में गंगाजी के तट पर विशाल ऐतिहासिक मैदान .वाद,विवाद ,संवाद ,पक्ष, विपक्ष , कथा ,गीत, नृत्य ,संगीत ,मेला, ठेला और सब की आश्रय स्थली . इस ऐतिहासिक मैदान में आपका स्वागत है .
Wednesday, February 25, 2009
विश्व को ललकारने की धृष्टता - मित्र की राय सर आंखों पर
1 comment:
Anonymous
said...
आप निश्छल और निर्दोष अकादमिक प्रवृति को धृष्टता न कहें. मैंने जो कुछ लिखा है वह शुद्ध द्वेष का प्रतिफल है ... संजीव रंजन, मुजफ्फरपुर
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आप निश्छल और निर्दोष अकादमिक प्रवृति को धृष्टता न कहें. मैंने जो कुछ लिखा है वह शुद्ध द्वेष का प्रतिफल है ... संजीव रंजन, मुजफ्फरपुर
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